सोमवार, 8 नवंबर 2010

ओबामा आये हल्ला मच गया

दोस्तों
आप सब को मंच से अम्बरीष मिश्रा advocate का नमस्कार

ओबामा आये हल्ला मच गया
मिडिया को एक नया मंच मिल गया
कुछ विरोधी बोले तो सहयोगी वोले
कांग्रेस ने भी आपने हाथ खोले

ओबामा पर तीखे प्रशन हुए
और देश में नजाने कितने जस्न हुए
मुंबई में बुलाकर नज़ारा दिखाकर
सम्बेदना वयक्त की पर पकिस्तान पे खामोश
आने से पहले पकिस्तान को दो अर्ब रूपये के हथियार
उपहार में देने का वादा किया
और भारत को हथीयार खरीदने पर मजबूर
ये है ओबामा कि नीतियाँ जी हजूर
पर आप न हो मायूश
क्योकि कुछ काम है
खुच ख़ास
न ओबामा न ओसामा
न मनमोहन न कोई सम्मोहन

एक था नेता लाल बहादुर सस्त्री
सच से पर्दा गिरा तो
बहुत सा रंग आयगा
पर सच कौन लायेगा


बुधवार, 22 सितंबर 2010

तो डस जाएगा

[maroon][b]सोने की चिड़िया
संस्कृति संस्कार की पीढ़ी
मेहमानों का सत्कार
क्या नहीं है मेरे देश मे यार
माटी की खुशबु
बड़ो का आशीर्वाद
भषाओ की माला
जहाँ हर माँ ने जिगर का टुकड़ा
दिल से लगा पाला
उस देश को खा गया
यह नेता साला
भर अपनी जेब मुह कर काला
फिर भी दीखाता अपना मन उजहला
खेलो मे भी खेल रच डाला
भरा अपना पैसो का थ्येला
विपदा को भी इन्होने खूब सम्भाला
पैसा भर तिजोरी को लगा ताला
खेल रहे बाडरो का खेल
सिवस बैंक का पता नहीं क्या है मेल
इश्वरभी इनके आगे फ़ैल
खूब मौज जब जाते यह जेल
कब तक आखिर कब तक
नहीं उठाते हम क्यूँ आवाज
हमारी ही जमी पर यह क्यूँ
फन फैलाये बेठायह नेता रूपी नाग
अरे मेरे भाई अब तो जाग नहीं
तो डस जाएगा
एक दिन यह नेता रूपी नाग
~~~पवन अरोड़ा~~~
[/b][/maroon]

गुरुवार, 2 सितंबर 2010

दोस्तों ,

आज बहुत दिनों बाद मंच पे आया हूँ ,
देश के बिगड़ते हालत पर संवेदना लाया हूँ ,


  • देश के चोटी पर चीन और पकिस्तान का नाजायज़ कब्ज़ा उस पर दोनों कि फोज देश कि सीमा को घेर रही है औरउस समय हमारे माननीय चिद्व्रम साहव , ने भगवा को आतंक बाद का drma फैला दिया
( दोस्तों , इतहास गवाह है कि हमेशा से भारत पर किसी ने भी शीधे हमला कर विजयनाही पाई बस कुछ गद्दारों ने रिश्वत लेकर दुसमन को घर के अन्दर तक लाया )

  • कॉमनवेल्थ पर मैं यही कहूँगा कि ... खेल है खिलाडियों का ख़तम होते होते न जाने कितने खेल खेले जायंगे
  • रहमान ने थीम बनाई ........... इण्डिया बुला लिया ...... पर ये तो कलमाड़ी को गाना चहिये कि उनका कई सालकि मेहनत ने इस खेल को इण्डिया बुला लिया । ( --- रहमान साहव मैं समझता हूँ कि कलाकार को बंधक नहींबनया जा सकता और अगर बनाया जाता है तो फिर कला को निखारा नही जा सकता )


अब तो कुछ गुनगुनाने का मन कर रहा है ..................


खेल का तेल निकल दिया
लोगो का मेल मिटा दिया
डेंगू को दिल्ली में फिला दिया
हाय रे तुने ये क्या किया ये क्या किया....
  • इतने दिनों के बाद हूँ तो टप्पल को कैसे छोड़ दूँ टप्पल तो भाई मेरे देश के किसानो कि जाग्रति स्थल है
    और एक बात सुनते है कि कई किशानो को लाखो करोड़ रूपये तक दिए गए जमीन के बदले । पर पिछले कई साल से या जन्म से जो काम के नाम पर खेती की वो इन नोटों को कैसे सम्हले गे मतलब साफ़ है कि अगर मैं आप से ये कहूँ कि आप ये ब्लॉग वाणी छोड़ कर जरा बाग़ वाणी या खेत वाणी करो तो एक या दो दिन तो ठीक है पर जीवन भर नहीं कर सकते हो क्योकि उसकी जानकारी आप को नहीं है वैसे ही इन किसानो का हाल है पहल कम्पनी का एक आदमी आया और उसने कुछ पैसे देकर जमीन खरीद ली और जब उसके पास पैसे आये तो उसको टीवी और सुभिधा जनक सामान बेच दिया और वो जिनका प्रयोग नहीं जनता वो सोफे पर तो पैर रख कर बीतेगा या जमीन में बैठेगा क्योकि उसकी आदत यही है जब चीज़े साही तरह से उपयोग नहीं होगी तो उनको फिर सस्ते दाम पे बेच्देगा और इसप्रकार धीरे धीरे उसके पास कुछ नहीं बचेगा और जमीन और सामान सब कम्पनी के पास चला जायेगा ।

अगर अच्छा हो कि उस सड़क पर जब तक सवारियां निकलेंगी तो पर गाडी एक पैसा या दो पैसा दिया जायेगा इस परकार से उसे बैठे बैठे कई पुस्तों के लिए पुसतो कि छोडी चीज़ का इस्तमाल होगा ।


shesh .............. समय milne पर











रविवार, 23 मई 2010

तक़दीर

दोस्तों,
मंच पे आज एक कविता ..........

तक़दीर
दूर शहर से अपने घर से लौटा एक कारीगर
सोचता जाता और बुद्बदाता
हे बिधाता - तुझ से kuch न छिपा है
न मेरी गरीवी और न मेरी मजबूरी
तो मैं kyo हूँ मजबूर
जर ये तो बता हजूर ,
रात का समय हो रहा था
और कारीगर रो रहा था ,
आज उसकी दुकान पर ताला लग गया था
किराया न देने के करण कुछ लालची लोगो ने ,
अपना लाभ के लिए पहल दुकान के ग्राहक को भगाया ,
और आज उस्कारिगर को ,
गरीब को मरने के लिए न तलवार है
न कतार है भाले चाकू बेकार है ,
वो मरता है तो क़ानून से
kanoon जहान झूठ झूठ है
और गरीव sach sach है ........


शेष समय मिलने पर .............





शनिवार, 22 मई 2010

कितना आसान है मौत का मुआवजा पर हकीकत मुआवज़े कि मौत

दोस्तों ,

मैं आपना विचार मंच के माध्यम से व्यक्त कर रहा हूँ मंच जहा पर मैंने कई लोगों को उधाते और गिरते देख है मंच पे मैं कुछ बाते रख रहा हूँ आप की सहमती और विचार मंच में रंग भर सकते है ,

दोस्तों ,
आज जो हवाई जहाज दुर्घटना हुयी और मरते वालू को 75,00,000.00 (पचत्थर लाख ) रुपये कि जो घोषणा कि है वो ठीक है मैं उसके विरोध में नहीं , इसी प्रकार लोगों कि मौत होती है
और सरकार को लगता है तो उसका भुगतान मुआवज़े के रूप में कर दिया जाता है | और मुआवज़े मिलने में क्या होता है ..................
  1. घर के आकस्मिक धन का प्रयोग सरकारी मुआवजे में घूस के निवाले में ख़तम हो जाता है |
  2. मुआवज़े कि राशी मिलने में वक्ती अपने घर का हाल ख़राब क्र देता है मतलब कि जहान घर को बनाना होता है काम इत्यादि कि जगह वो सरकारी chukhat पे नाक रगड़ता और निवाले खिलाता नज़र आता है बाबू नाराज न हो जाये और बाबू बाद में ये कहता है कि घर में तो बहुत पैसा है अनगिनत और चुभन कितना आसान है कि मौत पर मुआवजा देना एक मुआवज़े को कितनो कि |
  3. anginat chubhan ..............

kitna asaan hai ki maut par muaawza dena और ek muawze ko पाने में kitno ki होती है मौत .......

सोच भाई सोच .......