बुधवार, 22 सितंबर 2010

तो डस जाएगा

[maroon][b]सोने की चिड़िया
संस्कृति संस्कार की पीढ़ी
मेहमानों का सत्कार
क्या नहीं है मेरे देश मे यार
माटी की खुशबु
बड़ो का आशीर्वाद
भषाओ की माला
जहाँ हर माँ ने जिगर का टुकड़ा
दिल से लगा पाला
उस देश को खा गया
यह नेता साला
भर अपनी जेब मुह कर काला
फिर भी दीखाता अपना मन उजहला
खेलो मे भी खेल रच डाला
भरा अपना पैसो का थ्येला
विपदा को भी इन्होने खूब सम्भाला
पैसा भर तिजोरी को लगा ताला
खेल रहे बाडरो का खेल
सिवस बैंक का पता नहीं क्या है मेल
इश्वरभी इनके आगे फ़ैल
खूब मौज जब जाते यह जेल
कब तक आखिर कब तक
नहीं उठाते हम क्यूँ आवाज
हमारी ही जमी पर यह क्यूँ
फन फैलाये बेठायह नेता रूपी नाग
अरे मेरे भाई अब तो जाग नहीं
तो डस जाएगा
एक दिन यह नेता रूपी नाग
~~~पवन अरोड़ा~~~
[/b][/maroon]

गुरुवार, 2 सितंबर 2010

दोस्तों ,

आज बहुत दिनों बाद मंच पे आया हूँ ,
देश के बिगड़ते हालत पर संवेदना लाया हूँ ,


  • देश के चोटी पर चीन और पकिस्तान का नाजायज़ कब्ज़ा उस पर दोनों कि फोज देश कि सीमा को घेर रही है औरउस समय हमारे माननीय चिद्व्रम साहव , ने भगवा को आतंक बाद का drma फैला दिया
( दोस्तों , इतहास गवाह है कि हमेशा से भारत पर किसी ने भी शीधे हमला कर विजयनाही पाई बस कुछ गद्दारों ने रिश्वत लेकर दुसमन को घर के अन्दर तक लाया )

  • कॉमनवेल्थ पर मैं यही कहूँगा कि ... खेल है खिलाडियों का ख़तम होते होते न जाने कितने खेल खेले जायंगे
  • रहमान ने थीम बनाई ........... इण्डिया बुला लिया ...... पर ये तो कलमाड़ी को गाना चहिये कि उनका कई सालकि मेहनत ने इस खेल को इण्डिया बुला लिया । ( --- रहमान साहव मैं समझता हूँ कि कलाकार को बंधक नहींबनया जा सकता और अगर बनाया जाता है तो फिर कला को निखारा नही जा सकता )


अब तो कुछ गुनगुनाने का मन कर रहा है ..................


खेल का तेल निकल दिया
लोगो का मेल मिटा दिया
डेंगू को दिल्ली में फिला दिया
हाय रे तुने ये क्या किया ये क्या किया....
  • इतने दिनों के बाद हूँ तो टप्पल को कैसे छोड़ दूँ टप्पल तो भाई मेरे देश के किसानो कि जाग्रति स्थल है
    और एक बात सुनते है कि कई किशानो को लाखो करोड़ रूपये तक दिए गए जमीन के बदले । पर पिछले कई साल से या जन्म से जो काम के नाम पर खेती की वो इन नोटों को कैसे सम्हले गे मतलब साफ़ है कि अगर मैं आप से ये कहूँ कि आप ये ब्लॉग वाणी छोड़ कर जरा बाग़ वाणी या खेत वाणी करो तो एक या दो दिन तो ठीक है पर जीवन भर नहीं कर सकते हो क्योकि उसकी जानकारी आप को नहीं है वैसे ही इन किसानो का हाल है पहल कम्पनी का एक आदमी आया और उसने कुछ पैसे देकर जमीन खरीद ली और जब उसके पास पैसे आये तो उसको टीवी और सुभिधा जनक सामान बेच दिया और वो जिनका प्रयोग नहीं जनता वो सोफे पर तो पैर रख कर बीतेगा या जमीन में बैठेगा क्योकि उसकी आदत यही है जब चीज़े साही तरह से उपयोग नहीं होगी तो उनको फिर सस्ते दाम पे बेच्देगा और इसप्रकार धीरे धीरे उसके पास कुछ नहीं बचेगा और जमीन और सामान सब कम्पनी के पास चला जायेगा ।

अगर अच्छा हो कि उस सड़क पर जब तक सवारियां निकलेंगी तो पर गाडी एक पैसा या दो पैसा दिया जायेगा इस परकार से उसे बैठे बैठे कई पुस्तों के लिए पुसतो कि छोडी चीज़ का इस्तमाल होगा ।


shesh .............. समय milne पर