मान बढ़ाकर, मान घटाना, कुछ लोगों की फितरत है
कारण तो बस अपना मतलब, जो काबिले नफ़रत है
गलती का कठपुतला मानव, भूल सभी से हो सकती
गौर नहीं करते कुछ इस पर, कुछ की खातिर इबरत है
आज सदारत जो करते हैं, दूर सदाकत से दिखते
बढ़ती मँहगाई को कहते, गठबन्धन की उजरत है
कुछ पानी बिन प्यासे रहते, कुछ पानी में डूब रहे
किसे फिक्र है इन बातों की, ये पेशानी कुदरत है
जागो सुमन सभी मिलकर के, बदलेंगे हालात तभी
फिर आगे ऐसा करने की, नहीं किसी की जुर्रत है
इबरत - नसीहत, बुरे काम से शिक्षा
उजरत - बदला, एवज में
पेशानी - किस्मत
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