रविवार, 23 मई 2010

तक़दीर

दोस्तों,
मंच पे आज एक कविता ..........

तक़दीर
दूर शहर से अपने घर से लौटा एक कारीगर
सोचता जाता और बुद्बदाता
हे बिधाता - तुझ से kuch न छिपा है
न मेरी गरीवी और न मेरी मजबूरी
तो मैं kyo हूँ मजबूर
जर ये तो बता हजूर ,
रात का समय हो रहा था
और कारीगर रो रहा था ,
आज उसकी दुकान पर ताला लग गया था
किराया न देने के करण कुछ लालची लोगो ने ,
अपना लाभ के लिए पहल दुकान के ग्राहक को भगाया ,
और आज उस्कारिगर को ,
गरीब को मरने के लिए न तलवार है
न कतार है भाले चाकू बेकार है ,
वो मरता है तो क़ानून से
kanoon जहान झूठ झूठ है
और गरीव sach sach है ........


शेष समय मिलने पर .............





शनिवार, 22 मई 2010

कितना आसान है मौत का मुआवजा पर हकीकत मुआवज़े कि मौत

दोस्तों ,

मैं आपना विचार मंच के माध्यम से व्यक्त कर रहा हूँ मंच जहा पर मैंने कई लोगों को उधाते और गिरते देख है मंच पे मैं कुछ बाते रख रहा हूँ आप की सहमती और विचार मंच में रंग भर सकते है ,

दोस्तों ,
आज जो हवाई जहाज दुर्घटना हुयी और मरते वालू को 75,00,000.00 (पचत्थर लाख ) रुपये कि जो घोषणा कि है वो ठीक है मैं उसके विरोध में नहीं , इसी प्रकार लोगों कि मौत होती है
और सरकार को लगता है तो उसका भुगतान मुआवज़े के रूप में कर दिया जाता है | और मुआवज़े मिलने में क्या होता है ..................
  1. घर के आकस्मिक धन का प्रयोग सरकारी मुआवजे में घूस के निवाले में ख़तम हो जाता है |
  2. मुआवज़े कि राशी मिलने में वक्ती अपने घर का हाल ख़राब क्र देता है मतलब कि जहान घर को बनाना होता है काम इत्यादि कि जगह वो सरकारी chukhat पे नाक रगड़ता और निवाले खिलाता नज़र आता है बाबू नाराज न हो जाये और बाबू बाद में ये कहता है कि घर में तो बहुत पैसा है अनगिनत और चुभन कितना आसान है कि मौत पर मुआवजा देना एक मुआवज़े को कितनो कि |
  3. anginat chubhan ..............

kitna asaan hai ki maut par muaawza dena और ek muawze ko पाने में kitno ki होती है मौत .......

सोच भाई सोच .......