सोमवार, 30 मार्च 2009

नेटवर्किग साईटस का नेट वर्किग

नेटवर्किग साईटस का नेट वर्किग

थोडा पिछे जाकर देखे तो ९० के दशक के मध्य मे ही आनलाईन क्म्यूनिटी के रुप मे सोशल नेटवर्किन्ग कि शुरुआत हुई थी । इस काम इन्तजाम देने वाली वेबसाईट थी “जियोसाइटस”ट्राइपोड,और दग्लोबल डॉट कॉम।

२००२-२००४ के बीच माइ-स्पेस, बेबो और फ्रेन्ड्स्टर बडी सोसल नेटवर्किग साइटस के रुप मे सामने आए।

लेकिन असली रिवोल्यूशन आया २००४ मे आर्कुट और फेस बुक से । इन्हने तेजी से पैर पसारे और सोशल नेटवर्किन्ग के काफी बडे हिस्से पर काबिज हो गऐ।

इन्ह दिनो बिजनेश के लिहाज से सबसे चर्चित लिन्क्डइन वेबसाईट ने थोडे ही वक्त मे २०० देशो मे करीब ३-६ करोड यूजर तैयार कर लिए है। इस साइट पर रोजाना लाखो नए यूजर जुड रहे है। लिन्क्डइन का दावा है कि फॉच्यून ५०० कम्प्नीयो के युजर यहॉ है।

ऑरकुट कि कहानी

इसके सस्थापक ऑरकुट बायोक्टेन के बारे मे मीडिया मे उस तरह नह छपता रहता जिस तरह फेसबुक के मालिक के बारे मे छपता है रहता है। २००४ मे गूगल ने ऑरकुट नामक अप्लीकेशन को खरीद लिया था । बायोक्टेन ने दरअसल अपनी गर्लफ्रेन्ड को खोजने के लिए एक ऐसी चीज की परिकल्पना की,जिसके जरिऐ वह उस का पत्ता लगा सके। बायोक्टेन जब छोटे थे तो स्कुल मे एक लड्की से उनकी दोस्ती हुई। लेकिन हाईस्कुल मे दोनो बिछुड गये। बहरहाल, बायोक्टेन २० साल के हुऐ तो वह आईटी के टेक्निकल आर्किटेक्ट बन गऐ और गर्लफ्रेन्ड के बिछडने का गम उनको परेशान करता रहा। तब उन्होने कम्प्यूटर इन्जनियरो से एक ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार करने को कहा, जिसके जरिए मैसेज भेजे जा सके और दुसरा भी अपना मैसेज लिख सके। सोशल नेटवर्किग की भाषा मे इसी को स्क्रैप करना भी कहा जाता है। तीन साल की मशक्कत के और पैसा खर्च करने के बाद बायोक्टेन को अपनी खोई हुई गर्लफ्रेन्ड मिल गई।

गूगल को ऑरकुट खरीदने के पहले ही साल मे एक अरब रुपऐ का मुनाफा हुआ। ऑरकुट पर आपकी हर गतिविधि के एवज मे गूगल बायोक्टेन को कुछ पैसा देता है।

फैसबुक की कहानी

हॉवर्ड कॉलेज मे कम्प्यूटर साइन्स के स्टुडेन्ट मार्क जुकेरबर्ग ने अपने दो रुममेटस कि मदद से ४ फरवरी २००४ को फेसबुक की स्थापना की। इस साईट पर खुद को रजिस्टर करने की एक ही शर्त थी कि आप हॉर्वड के स्टुडेन्ट हो। लेकिन २००६ सितम्बर, मे जुकेरबर्ग ने इसका दरवाजा पुरी दुनिया के लिऐ खोल दिया। यही से सफलता कि सीढिया फेसबुक ने चढी कि ऑरकुट को पिछे धकेल दिया। २००६ मे याहू ने फैसबुक को एक अरब मे खरीदना चाहा लेकिन जुकेरबर्ग ने इसे ठूकरा दिया। दसल गूगल के पास ऑरकुट है तो रुपर्ट मर्डोक की कम्पनी न्यूजकॉर्प के पास माई स्पेस है जिसे खुद न्यूजकॉर्प ने २९ अरब मे खरीदा था।

दुनियॉ मे टॉप सोशल नेटवर्किग साईट

वेबसाईट महीने मे विजिट

www.facebook.com 1.1 अरब

www.myspace.com 81 करोड
www.twitter.com 5.4 करोड

www.flixter.com 5.3 करोड
www.linkedin.com 4.2 करोड


भारत मे टॉप नेटवरकिन्ग साइट्स

www.orkut .com 1.2 करोड
www.facebook.com 0.40 करोड
www.bharatstudents.com 33 लाख
www.hi15.com 20 लाख

www.ibibo.com 09 लाख


भारत मे पॉच करोड लोग सोशल नेटवर्किन्ग यूजर।

सोशल नेटवर्किन्ग साइटस पर ऑसतन 25 मिनट बिताता है।

भारत मे इन्टरनेट यूजर मे से एक तिहाई सोशल नेटवर्किन्ग साइट पर है।

हे प्रभु यह तेरापथ द्वारा रिचर्च

नवभारत टाईम्स अथवा नेट सोर्सिग के माध्यम से

धवल शाह मुख्या सोशलनेट के


विशेषज्ञ

http://ctup.blog.co.in/



6 टिप्‍पणियां:

अजय कुमार झा ने कहा…

bahut khoob yadi ye chhotaa prayas tha to pata nahin bada prayaas kitnaa prabhaavkaaree hogaa . swaagat hai aapkaa.

रचना गौड़ ’भारती’ ने कहा…

ब्लोगिंग जगत में स्वागत है
लगातार लिखते रहने के लि‌ए शुभकामना‌एं
सुन्दर प्रयास
कविता,गज़ल और शेर के लि‌ए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
http://www.rachanabharti.blogspot.com
कहानी,लघुकथा एंव लेखों के लि‌ए मेरे दूसरे ब्लोग् पर स्वागत है
http://www.swapnil98.blogspot.com
रेखा चित्र एंव आर्ट के लि‌ए देखें
http://chitrasansar.blogspot.com

Sankar shah ने कहा…

bahut badhiya lekha hai...bahut bahut subhkamnay...sankar-shah.blogspot.com

Deepak Sharma ने कहा…

मेरी सांसों में यही दहशत समाई रहती है
मज़हब से कौमें बँटी तो वतन का क्या होगा।
यूँ ही खिंचती रही दीवार ग़र दरम्यान दिल के
तो सोचो हश्र क्या कल घर के आँगन का होगा।
जिस जगह की बुनियाद बशर की लाश पर ठहरे
वो कुछ भी हो लेकिन ख़ुदा का घर नहीं होगा।
मज़हब के नाम पर कौ़में बनाने वालों सुन लो तुम
काम कोई दूसरा इससे ज़हाँ में बदतर नहीं होगा।
मज़हब के नाम पर दंगे, सियासत के हुक्म पे फितन
यूँ ही चलते रहे तो सोचो, ज़रा अमन का क्या होगा।
अहले-वतन शोलों के हाथों दामन न अपना दो
दामन रेशमी है "दीपक" फिर दामन का क्या होगा।
@कवि दीपक शर्मा
http://www.kavideepaksharma.co.in (http://www.kavideepaksharma.co.in/)
इस सन्देश को भारत के जन मानस तक पहुँचाने मे सहयोग दे.ताकि इस स्वस्थ समाज की नींव रखी जा सके और आवाम चुनाव मे सोच कर मतदान करे.

अभिषेक मिश्र ने कहा…

अच्छी जानकारी दी आपने. स्वागत ब्लॉग परिवार में.

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" ने कहा…

acchI jaanakaarI pradaan kI aapane....