बुधवार, 29 अप्रैल 2009

चुनाव (जिन्दगी का सबसे मुस्किल काम )

कल मेरे यहाँ चुनाव है , चुनाव (जिन्दगी का सबसे मुस्किल काम )
जिन्दगी के आज तक के चुनाव में हमेशा लोगो ने सहयोग किया ,
क्या सही क्या ग़लत और ग़लत है तो कितना सही इत्यादी

पर मत दान एक एसा चुनाव है की समझ में नही आता की किसको चुनो
और क्यो चुनो इसमे इसा क्या है की इनको पाच साल का ताज दे दूँ क्यो .......

पर यदी चुनो तो क्या करे......
कल जब बटन दवाऊंगा तो कुछ सेकंड की बीप मुझसे क्या कह रही होगी
की ...... तुम सबसे बेकार हो जो सबसे बेकार को चुना है .................
या तुम ठीक हो क्यो की ये इनसब में सबसे सही है....................
पिछले कई चेहरे देखे ..............पर सच पुछू तो सायद ही कोई होगा जो तमीज जनता हो .........
वैसे मेरे यहाँने महिलाये है जो जीतेंगी पहल से सबको मालूम है पर फिर भी...
सब पार्टी ने अपने मनिफेस्तो निकला पर चुनावी प्रत्याशी यो ने क्यो नही निकला की उनकी भविष्य की नीतियाँक्या है और इस जिले को किस प्रकार जिलाएंगे
बहुत उल्जहन है ........ सच में ...........

आप मेरी मदद कर सकते है क्या ? ......... ( उल्जन दूर करने में )

फिर अपने में जबाब धुन्धता हूँ ...........................
इसके दो प्रकार है

- कि बड़ी प्रतियों के प्रतिनिधि नही होने चाहिए। मतलब कि उनके उम्मीद बार नही होने चहिये आप उनके प्रधानमंत्री के दावे दार को ध्यान में रखकर वोट दे और उनका प्रतिनिधि जिला शहर गाव मोहल्ला उस चुनाव के प्रचारका प्रवंध करे और जितने के बाद वो ही जिमेदारी निभाए ..........
इसप्रकार जीत
के बाद उसके जिम्मे होगा पुरा का पूरा दावेदार वो मोहल्ले के नाते काम तो आएगा
क्योकि जब दूसरा आता है तब अपनी गलती किसके सर फोड़ दो कि एक तरफ प्रधान मंत्री को धयान में रखकर केवोट दिया था तो सांसद क्यो बात करे और क्यो सुने वो हमारी ..... और अगर सुन लिया तो भी काम नही होगा बादमें ख़राब पोजिशन के करण कोई और उम्मीद बार होता हैऔर वो तो कही और से लड़ा होता है
ये तो ग़लत है हम लोग ठगे से रह जाते है कि काकर आया वोट
हर आफिस में रिश्वत देनी पड़ती है अगर मोहल्ले का सांसद हो तो कम से कम ये तो बचेगा हर किसी का

- विदला टाटा रिलायंस वाली पार्टी आजायें ये अपनी पार्टी बनाये .........
जैसे बिडला समाज बादी पार्टी ----टाटा मनुबादी पार्टी
ये सभी मोहले में अपना जनसंपर्क कार्यालय खोले और लोगो कि कम्पलेंट को लिखे उसकी के अनुसार लोगो केभलाई के लिये कानून निर्माण करवाए और काम करवाए और समस्याए हल करे इनाधिकरियो का समाधान करेअपने अधिकारियो कि तरह इनको भी काम करना शिखाये कि क्या और कैसे होता है काम

तब तो ठीक है आपना जो सीईओ होगा जान पहचान का बस वोट उसी को
लेकिन इस पारकर कि वोटिंग तो बेकार में पैसा वार्बाद होता है और कोई सुभिधा नही मिलती है सब काम चोर डूटीपर होते है लोग धुप में मरे उनसे क्या
मौका पाते ही लाठीयां चलते है और लोगो की बगदाद के बीच , उसी बीच फर्जी वोट डालते है ये है अधिकारी
और लोग परेशान होने के करण चले जाते है
पर उनका भी वोट पड़ जाता है


वैसे वोट तो दूंगा पर उल्जहन के साथ काश चुनाव आयोग मेरी मदद करे इस उलझन को मिटने में .......

2 टिप्‍पणियां:

mark rai ने कहा…

aaj ke chunaaw ke haalaat par lekh achchha laga..

AMBRISH MISRA ( अम्बरीष मिश्रा ) ने कहा…

aap ka abhar