गुरुवार, 30 अप्रैल 2009

उजाला ....

एक मोमबती ले निकली हूँ । घुप अँधेरी रात है ।
मेरे लिए नही यह कोई नई बात है । सारे जग में कर दूंगी उजाला ।
हिम्मत है तो रोक कर दिखाओं ।
.................. रोशनी

3 टिप्‍पणियां:

श्यामल सुमन ने कहा…

आपके हिम्मत की दाद देता हूँ। कहते हैं कि-

अंधेरा माँगने आया था रौशनी की भीख।
हम अपना घर न जलाते तो क्या करते।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com

AMBRISH MISRA ( अम्बरीष मिश्रा ) ने कहा…

आप की रोशनी का दर्द
पर आप का प्रकाश
सच में अच्छा अहसास है

RAJNISH PARIHAR ने कहा…

nice..very nice...