सोमवार, 18 मई 2009

~~~~~~मैं हूँ न ~~~~~~

अगर आप खो गये है
या सो गए है
दुन्ढ़ रहे है किसी मदद गार को
इस भीड़ में
अपने यार को
जो आप का दे शाथ
पकड़ के हाथ
आप को फूलो सी सौगात
और सब कुछ मीठी
मुस्कराहट के साथ
अगर आप को याद है वो बात
जो मैं ने पहल भी कही है कई बार
दिल से मेरे यार
वो आज भी कहूँ
ये जरुरी नही
बस दोस्ती जरुरी है
पर उससे जयादा जरुरी
पक्का वादा जो स्वयम किया गया हो
सच में दोस्ती एक नया हस्सास है
दोस्त ,
मैं हूँ
आप के शाथ और आप किसके है साथ ? " "

4 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

सच में दोस्ती एक नया हस्सास है
दोस्त ,
मैं हूँ न


-बहुत बढ़िया....शाथ = साथ और अन्य टंकण की त्रुटियां भी ठीक कर लें..पढ़ने में विध्न उत्पन्न कर रहे हैं. शायद जल्दीबाजी में रह गया हो.

रंजना ने कहा…

सुन्दर लेखन....

वर्तनी की कतिपय अशुद्धियों को सुधार लें.

प्रीतीश बारहठ ने कहा…

'हस्सास' शब्द से परिचित करायें कुछ पल्ले नहीं पड़ा।

Science Bloggers Association ने कहा…

बहुत सुन्दर कविता।
टिप्पणियों की चिन्ता भी आप न करें, मैं हूं न।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }